वो जालिम |
कोई ये न पूछे की वो जालिम कैसी थी ,
……………जैसी भी थी लकिन जालिम लोसन से कुछ कम न थी
……………जैसी भी थी लकिन जालिम लोसन से कुछ कम न थी
फरक बस इतना है की वो सरयाम सरको पे बेचीं जाती है,
........................और वो बिकती तो है मगर दिखती नहीं
दर्द जो इतना दे जाती है , की न जाने सब कुछ खो जाता है ,
.................पल ही पल में सब कुछ लुट जाता है
........................और वो बिकती तो है मगर दिखती नहीं
दर्द जो इतना दे जाती है , की न जाने सब कुछ खो जाता है ,
.................पल ही पल में सब कुछ लुट जाता है
दुनिया वीरानी हो जाती है ,अपने भी बेगाने हो जाते है ,
.......................बिच समुंदर में जैसे तूफ़ान से लरते रहते है
सब कुछ तो यु ही मिटा जाता है
.........................समय का चक्र चलता जाता है
.......................बिच समुंदर में जैसे तूफ़ान से लरते रहते है
सब कुछ तो यु ही मिटा जाता है
.........................समय का चक्र चलता जाता है
लकिन अंत में तो एक ही चीझ काम में आती है,
....................................या तो उसके हाथो का मलहम या जालिम लोशन मलहम ,
लकिन मलहम-मलहम की बात होती है .................
एक तो मीठा सा एहसास दे जाता है और एक तीखा
....................................या तो उसके हाथो का मलहम या जालिम लोशन मलहम ,
लकिन मलहम-मलहम की बात होती है .................
एक तो मीठा सा एहसास दे जाता है और एक तीखा
ये मलहम है जी मलहम है यही तो जालिम का
................................मलहम है
................................मलहम है
No comments:
Post a Comment