Sunday, April 21

सांस




बस गए हो तुम, थम से गए हो तुम
     हर जर्रे-जर्रे मे, रम से गए हो तुम
जरूरत हो तुम, मुसीबत हो तुम
    हर एक ख्वाब की खूबसूरती हो तुम
हर कोई यही चाहे, थोरी सी बस और दो
    जीने की थोरी सी मोहलत तो और दो 
तुम्ही हो जिसने दोस्तों को भी अपनाया और दुसमन को भी
       जिंदगी के हर मोड को अपने से चलया 
सख्स की शक्सीयत को जाने तुम
       वफा से बेवफ़ाई की नसीहत हो तुम 
हंसाते हो तुम रुलाते हो तुम 
    जिंदगी के हर लोगो को लुभाते हो तुम 
हर कोई रोता है ............
          जब छोड़ के चले जाते हो तुम 


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