Friday, December 24

माँ


माँ
ये जो सब्द है माँ ............जिसके सुनते ही,
……………………………………दिल में एक अजीब सी ...महसूस होती है
इस धरती पे आने से................जाने तक जिसे हर कोई बोलता है...
माँ तो ऐसी ही है............
हे माँ आप को सत-सत नमन .........




Thursday, December 2

वो जालिम

वो  जालिम
वो  जालिम

कोई ये न पूछे की वो जालिम कैसी थी ,
……………जैसी भी थी लकिन जालिम लोसन से कुछ कम न थी
फरक बस इतना है की वो सरयाम सरको पे बेचीं जाती है,
........................और वो बिकती तो है मगर दिखती नहीं
दर्द जो इतना दे जाती है , की न जाने सब कुछ खो जाता है ,
.................पल ही पल में सब कुछ लुट जाता है
दुनिया वीरानी हो जाती है ,अपने भी बेगाने हो जाते है ,
.......................बिच समुंदर में जैसे तूफ़ान से लरते रहते है
सब कुछ तो यु ही मिटा जाता है
.........................समय का चक्र चलता जाता है
लकिन अंत में तो एक ही चीझ काम में आती है,
....................................या तो उसके हाथो का मलहम या जालिम लोशन मलहम ,
लकिन मलहम-मलहम की बात होती है .................
एक तो मीठा सा एहसास दे जाता है और एक तीखा
ये मलहम है जी मलहम है यही तो जालिम का
................................मलहम है

Monday, November 8

महसूस तब होता है......

जब तू सामने होती है आँखों ही आँखों में बात होती है
जुबा की बाते नजरो से होती है ,होठ तो बस खामोस ही रहते है
तेरा वो कोमल सा चेहरा ,और वो कटीली मुस्कान
जाने कितने वार किया मेरे दिल पे
इस थोरे से समय में जाने क्यों ऐसा लगता है ,
जैसे की ये पहचान है जन्मो का
हम भी खामोश और वो भी खामोश
समय तो युही चलता गया ,दिन भी घुजरता गया
वो घरी गयी , जब जुदा तो होते है
लेकिन फिर भी जाने क्यों ,खामोश से रहते है
महसूस तो तब होता है जब हम भी अलग और वो भी अलग
मंजिले अलग रास्ते अलग
तन्हा दिल और तन्हा सफ़र ...........नजरे भी बन्द......जुबा भी बन्द.......
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Saturday, September 11

दिल तोर के ..........

ये दिल तोर के तुम क्यों .... सर झुकाते हो ...

है अगर सिने में दिल तो क्यों , नज़र चुराते हो ....

कहते हो की तुमने कभी किसी से प्यार नहीं किया

मगर फीर भी क्यों मुर - मुर के ,सकल दिखाते हो

लोग कहते है की ,तुम हो गयी हो बेवफा ....

लकिन हम कहते है की , क्यों न हो

क्यों की हमने औरे ki तरह , न तो लेविस की जेंस दिलाई और न ही मूवी दिखिई ...

न तो पास आती हो ,और न ही दूर जाते हो ......

अरे सरम की भी कोई हद होती है ,क्यों की तुम अभी भी मुझसे पैसे उधार ले जाती हो

दोस्त कहते है की ,मचेगी अब धूम

रोज लगंगे थाके के चकार ,और हर शाम होगी व्हिस्की और वोदका की बरसात

लकिन ये कब तक ,जब तक तेरी याद बाकि है ....

हो जायगी उसी दिन ख़तम ,जब कोई दूसरी आ गाएगी ..

और हमारे गिंदगी में कुछ पल के लिए फिर से ख़ुसिया दे जयीगे ....







Monday, September 6

टिन-टिन जब बजती है .....


जब वो बजती है , तो मानो सही में मेरी बजती है .....

न जाने किस -का कॉल हो , पर मेरी बजती है

चाहे वो कॉल कस्टमर केयर का हो ,या क्रेडिट कार्ड वाला का ...

या हो X गर्ल फ्रेंड का ,पर मेरी बजती है

न जाने वो कौन सा दिन था , जब हमने ये बजने वाला यन्त्र ख़रीदा था ...

और अपना चैन -सकून भी खोया था

सयाद वो दिखा था ,या मेरी जरुरत

लकिन कुछ भी हो , वो दिन था बरा ही बदसूरत ...

बजते -बजते न जाने कब , खुद ही कालर तुने लग जाता है ..

औउर हमारे मेहनत के 30 रुपीस भी ले जाता है

मानो तो ये मेरी ही नहीं , ये तो साडी दुनिया की बज रही है ...

लकिन क्या करे बजती ही तो बजनी दो ........और दुनिया को युही ही मस्ती में चलने दो .......









Friday, September 3

तुने क्या किया ?

ये सोच की तुने क्या किया ?
कुछ खोया या पाया ....
आखिर तुने क्या किया

पाना है मुझे पाना है
कुछ तो मुझे जिंदगी में पाना है

हकीकत नहीं तो ख्वाब में ही
लकिन कुछ तो मुझे पाना है ...

पाने की चाह में हम युही , बढ़ते गए
दर बदर भटकते गए ...

आखिर ये सोच कब तक रहेगी
सायद जब तक सास चलेगी तब तक रहेगी .....


Thursday, September 2

झर-झर करते पानी


ये झर-झर करते पानी
प्यासों की पयास भुझाते
रहते अपने ही मगन में
मंजिल की परवाह करते
घिरते सँभालते यो ही चलना है
हर मुस्किल को आशन करना है

बढ़ना है और बढ़ना है
जीवन में यो ही निरंटर बढ़ते रहना है

हर मुस्किल को आशन कर देंगे
हर ख्वाब को हकीकत बना देंगे ........
ये जो पथ मिला है ......
उस पर निरंतर बढ़ते रहना है