Saturday, September 11

दिल तोर के ..........

ये दिल तोर के तुम क्यों .... सर झुकाते हो ...

है अगर सिने में दिल तो क्यों , नज़र चुराते हो ....

कहते हो की तुमने कभी किसी से प्यार नहीं किया

मगर फीर भी क्यों मुर - मुर के ,सकल दिखाते हो

लोग कहते है की ,तुम हो गयी हो बेवफा ....

लकिन हम कहते है की , क्यों न हो

क्यों की हमने औरे ki तरह , न तो लेविस की जेंस दिलाई और न ही मूवी दिखिई ...

न तो पास आती हो ,और न ही दूर जाते हो ......

अरे सरम की भी कोई हद होती है ,क्यों की तुम अभी भी मुझसे पैसे उधार ले जाती हो

दोस्त कहते है की ,मचेगी अब धूम

रोज लगंगे थाके के चकार ,और हर शाम होगी व्हिस्की और वोदका की बरसात

लकिन ये कब तक ,जब तक तेरी याद बाकि है ....

हो जायगी उसी दिन ख़तम ,जब कोई दूसरी आ गाएगी ..

और हमारे गिंदगी में कुछ पल के लिए फिर से ख़ुसिया दे जयीगे ....







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