ये दिल तोर के तुम क्यों .... सर झुकाते हो ...
है अगर सिने में दिल तो क्यों , नज़र चुराते हो ....
कहते हो की तुमने कभी किसी से प्यार नहीं किया
मगर फीर भी क्यों मुर - मुर के ,सकल दिखाते हो
लोग कहते है की ,तुम हो गयी हो बेवफा ....
लकिन हम कहते है की , क्यों न हो
क्यों की हमने औरे ki तरह , न तो लेविस की जेंस दिलाई और न ही मूवी दिखिई ...
न तो पास आती हो ,और न ही दूर जाते हो ......
अरे सरम की भी कोई हद होती है ,क्यों की तुम अभी भी मुझसे पैसे उधार ले जाती हो
दोस्त कहते है की ,मचेगी अब धूम
रोज लगंगे थाके के चकार ,और हर शाम होगी व्हिस्की और वोदका की बरसात
लकिन ये कब तक ,जब तक तेरी याद बाकि है ....
हो जायगी उसी दिन ख़तम ,जब कोई दूसरी आ गाएगी ..
और हमारे गिंदगी में कुछ पल के लिए फिर से ख़ुसिया दे जयीगे ....
Dedicated to the poem lover.Hindi poem Lover. "हिन्दी कविता".Love poem.I like to write new poem from my bottom of heart.Get connected through my page for new and funny "हिन्दी कविता"
Saturday, September 11
Monday, September 6
टिन-टिन जब बजती है .....
जब वो बजती है , तो मानो सही में मेरी बजती है .....
न जाने किस -का कॉल हो , पर मेरी बजती है
चाहे वो कॉल कस्टमर केयर का हो ,या क्रेडिट कार्ड वाला का ...
या हो X गर्ल फ्रेंड का ,पर मेरी बजती है
न जाने वो कौन सा दिन था , जब हमने ये बजने वाला यन्त्र ख़रीदा था ...
और अपना चैन -सकून भी खोया था
सयाद वो दिखा था ,या मेरी जरुरत
लकिन कुछ भी हो , वो दिन था बरा ही बदसूरत ...
बजते -बजते न जाने कब , खुद ही कालर तुने लग जाता है ..
औउर हमारे मेहनत के 30 रुपीस भी ले जाता है
मानो तो ये मेरी ही नहीं , ये तो साडी दुनिया की बज रही है ...
लकिन क्या करे बजती ही तो बजनी दो ........और दुनिया को युही ही मस्ती में चलने दो .......
Friday, September 3
तुने क्या किया ?
ये सोच की तुने क्या किया ?
कुछ खोया या पाया ....
आखिर तुने क्या किया
पाना है मुझे पाना है
कुछ तो मुझे जिंदगी में पाना है
हकीकत नहीं तो ख्वाब में ही
लकिन कुछ तो मुझे पाना है ...
पाने की चाह में हम युही , बढ़ते गए
दर बदर भटकते गए ...
आखिर ये सोच कब तक रहेगी
सायद जब तक सास चलेगी तब तक रहेगी .....
कुछ खोया या पाया ....
आखिर तुने क्या किया
पाना है मुझे पाना है
कुछ तो मुझे जिंदगी में पाना है
हकीकत नहीं तो ख्वाब में ही
लकिन कुछ तो मुझे पाना है ...
पाने की चाह में हम युही , बढ़ते गए
दर बदर भटकते गए ...
आखिर ये सोच कब तक रहेगी
सायद जब तक सास चलेगी तब तक रहेगी .....
Thursday, September 2
झर-झर करते पानी
ये झर-झर करते पानी
प्यासों की पयास भुझाते
रहते अपने ही मगन में
मंजिल की परवाह न करते
घिरते सँभालते यो ही चलना है
हर मुस्किल को आशन करना है
बढ़ना है और बढ़ना है
जीवन में यो ही निरंटर बढ़ते रहना है
हर मुस्किल को आशन कर देंगे
हर ख्वाब को हकीकत बना देंगे ........
ये जो पथ मिला है ......
उस पर निरंतर बढ़ते रहना है
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