Tuesday, May 14

एक तस्वीर


समझ गया मै ,जो समझ न पाया
            भूले से जो नाम न ले पाया
दिल पे एक अंगुली सी घुमायी
           न जाने क्यो तेरी तस्वीर बन आई
फरेबी है लोग ,मतलबी है यार
          फिर भी न जाने क्यो संभालता है यार
ये दुनिया है दोखा  ,सिर्फ एक दोखा
          कभी न दिया है अच्छों को मौका
बनाते है हसरत औरों के बहाने
             जलाते है घर बना के महल
यही  है दुनिया यही है लोग
        जो बताते है "राजेश"  को नहीं है कोई इनका मोल
             समझ गया मै ,जो समझ न पाया ................

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