Thursday, May 16

भुला देना

जब से वो ,दिल मे समाई है
          दिन-रात उसने अपनी ही मुहबत जलायी है
आंखे खुली है ,फिर भी न जाने क्यो अंधेरा है
         उसकी ही यादों मे न जाने क्यो सवेरा है
है वो सुकू से ,मगर चैन नहीं है इधर
      हर पल न जाने, मै सपने मे खो जाता हू किधर
रहेगे हमेशा बनके तेरा साथ
         भुला देना उसी  दिन ,जब कोई हो जाए तेरे पास 
है ये यकी अभी भी तुझी पे
           निभा देना वो साथ ,सातों ज़्नम तक
कर लो आंखे बंद ,दूर कर लो वहम
                लगा लो गले यही है सितम ............

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