Sunday, October 12

आश

बचपन से ये आश है, हो सब कुछ मेरे पास
           मगर न जाने क्यों इन दिनों जिंदगी फिर भी है उदास 

है ये आश ,उसमे हो कुछ न कुछ ख़ास
            मगर न जाने क्यों दिल में अभी भी है एक बात 

बीतते समय के साथ चलता है ये आश
          मगर न जाने क्यों आधे रास्ते में ही छूट जाता है ये आश  

अकेला नहीं है ये आश ,जुड़ा है सभी के दिलो में ये आश
              किसी न किसी से ,मगर सभी को है ये आश 

जोरता है ये आश तो तोरता है ये आश
            सब कुछ बिखर जाता है अगर मुँह मोरता है ये आश
 
मानव तो मानव ,धरती से लेकर आकाश की भी है एक आश
                        ......... कब होगी मेरी पूरी ये आश

मगर आश की कोई उम्र नहीं होती ये तो अमर है
                       मगर न तो मैं अमर हु न मेरी आश
 
                                                            " राज "

Tuesday, October 1

किसी के लिए














 है ये आवारगी ,या है ये दीवानगी
        जरा संभालो ना उनको ,जिसने दिखाई ये सादगी
सुलगता है दिल ,तरपता है दिल
   फिर भी न जाने , क्यो उसी की याद मे मचलता है दिल
मेरी आंखे थी नम ,हवा भी था सन
               वो आंखों से आँसू , आई थी एकदम 
ये आंखे ना हो जाए ,कभी भी बंद
               कर ले ना तुझको हमेशा के लिए पसंद
है  हमारी ये जिंदगी अब किसी के लिए
          दिल मे उतर चुके है हम , उन्ही के लिए ...........
                                                                            " राज "

Thursday, May 16

भुला देना

जब से वो ,दिल मे समाई है
          दिन-रात उसने अपनी ही मुहबत जलायी है
आंखे खुली है ,फिर भी न जाने क्यो अंधेरा है
         उसकी ही यादों मे न जाने क्यो सवेरा है
है वो सुकू से ,मगर चैन नहीं है इधर
      हर पल न जाने, मै सपने मे खो जाता हू किधर
रहेगे हमेशा बनके तेरा साथ
         भुला देना उसी  दिन ,जब कोई हो जाए तेरे पास 
है ये यकी अभी भी तुझी पे
           निभा देना वो साथ ,सातों ज़्नम तक
कर लो आंखे बंद ,दूर कर लो वहम
                लगा लो गले यही है सितम ............

Tuesday, May 14

एक तस्वीर


समझ गया मै ,जो समझ न पाया
            भूले से जो नाम न ले पाया
दिल पे एक अंगुली सी घुमायी
           न जाने क्यो तेरी तस्वीर बन आई
फरेबी है लोग ,मतलबी है यार
          फिर भी न जाने क्यो संभालता है यार
ये दुनिया है दोखा  ,सिर्फ एक दोखा
          कभी न दिया है अच्छों को मौका
बनाते है हसरत औरों के बहाने
             जलाते है घर बना के महल
यही  है दुनिया यही है लोग
        जो बताते है "राजेश"  को नहीं है कोई इनका मोल
             समझ गया मै ,जो समझ न पाया ................

Monday, May 13

बस जाओ


बस जाओ ,थम जाओ -जरा ठहर तो जाओ
                 थोरी दूर चलो हो ,जरा संभल तो जाओ
पास तो आओ जरा मुस्कराओ
                सासे थम सी गयी है ,जरा नजदीक तो आओ
हो जाएंगे दूर ,अगर ऐसे ही रहे
               जरा पास तो आओ ,साथ कदम तो बढ़ाओ
सफर है हमारा ,जिगर है तुम्हारा
                       चलो हो तो चलो, फिर क्यो रुको हो
छूकर के तो देखो ,जरा इस आहट को सुनकर के तो देखो
                      कहि न कहि बसी हो तुम......।
  आंखे बंद करके  देख लेना...।
                      हर जगह बस तुम ही तुम .....तुम ही तुम..............

Saturday, May 11

मधुप्याला


पीता हु मै, जीता हु, छूता हु मै
        आंखो से दिल तक छूता हु मै
टूटा हु, छूता हु, मगर दिल से पीता हु
    जरा पास आकार देखो किसके लिए जीता हु
शाम हुई है दिन भी ढला है
        डूबते सूरज के साथ फिर से चला है
भर दो इसको शुरू कर दो इसको
    हर कसमों वादो को चकनाचूर कर दो फिर से
मजहब नहीं है कोई दुश्मन नहीं है कोई
     जब बैठता हु मैखाने मे हर कोई हमदर्द है
कर दो खत्म, भर दो सितम
       आखरी बूंद बची है, रंग लो जतन
पीता हु मै, जीता हु मै
      मगर फिर भी जाने क्यूँ जीता हु मै.......

Sunday, April 21

सांस




बस गए हो तुम, थम से गए हो तुम
     हर जर्रे-जर्रे मे, रम से गए हो तुम
जरूरत हो तुम, मुसीबत हो तुम
    हर एक ख्वाब की खूबसूरती हो तुम
हर कोई यही चाहे, थोरी सी बस और दो
    जीने की थोरी सी मोहलत तो और दो 
तुम्ही हो जिसने दोस्तों को भी अपनाया और दुसमन को भी
       जिंदगी के हर मोड को अपने से चलया 
सख्स की शक्सीयत को जाने तुम
       वफा से बेवफ़ाई की नसीहत हो तुम 
हंसाते हो तुम रुलाते हो तुम 
    जिंदगी के हर लोगो को लुभाते हो तुम 
हर कोई रोता है ............
          जब छोड़ के चले जाते हो तुम